लेटरल एंट्री 2024: मोदी सरकार ने सीधी भर्ती के निर्णय को वापस ले लिया, विपक्ष ने आरक्षण के आधार पर इसका विरोध किया था।

lateral entry 2024: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को लिखे अपने पत्र में यूपीए सरकार के दौरान की गई नियुक्तियों की पहल का उल्लेख किया। उनके अनुसार, वर्ष 2005 में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में केंद्र सरकार ने इस संबंध में पहली बार सिफारिश की थी। इसके अलावा, 2013 में यूपीए सरकार ने लेटरल एंट्री के माध्यम से पदों को भरने का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने अपने पत्र में UIDAI और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में नियुक्त सुपर ब्यूरोक्रेसी का भी उल्लेख किया।

केंद्र के निर्णय पर कांग्रेस नेता पवन खेडा ने कहा कि विपक्ष के दबाव में आकर केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है। अब समय आ गया है कि देश की आवाज को सुनना शुरू करें, क्योंकि अब देश की बात विपक्ष के माध्यम से सामने आ रही है।

संघ लोकसेवा आयोग ने 17 अगस्त को 45 पदों के लिए लेटरल एंट्री के माध्यम से वैकेंसी की घोषणा की थी। ये भर्तियां विभिन्न मंत्रालयों में सचिव और उपसचिव के पदों के लिए की गई थीं। हालांकि, इसमें आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

इससे पूर्व, लेटरल एंट्री के माध्यम से लोक सेवकों की भर्ती पर केंद्र सरकार को निशाना बनाते हुए, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाया कि बीजेपी का रामराज्य का विकृत रूप संविधान को नष्ट करने और बहुजनों के आरक्षण के अधिकार को छीनने का प्रयास कर रहा है।

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर टिप्पणी करते हुए कहा, “लेटरल एंट्री दलितों, ओबीसी और आदिवासियों के खिलाफ एक आक्रमण है। बीजेपी का रामराज्य का विकृत रूप संविधान को नष्ट करने की कोशिश कर रहा है और बहुजन समुदाय से आरक्षण को छीनने का प्रयास कर रहा है।” इससे पूर्व, उन्होंने रविवार को यह आरोप भी लगाया था कि प्रधानमंत्री मोदी यूपीएससी की बजाय आरएसएस के माध्यम से लोक सेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं।

केंद्र सरकार के सहयोगी और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने सरकारी पदों पर नियुक्तियों के किसी भी प्रयास की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे को केंद्र के सामने उठाएंगे। चिराग ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “सरकारी नियुक्तियों में आरक्षण का होना अनिवार्य है। इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए। निजी क्षेत्र में आरक्षण नहीं है, और अगर सरकारी पदों पर भी यह लागू नहीं होता है, तो यह मेरे लिए चिंता का विषय है।”

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