वक़्फ़ बिल पर विवाद, मुस्लिम धर्मगुरुओं की क्या हैं आपत्तियाँ।

इस्लाम में वक़्फ़ को अत्यंत शुभ कार्य माना जाता है। वक़्फ़ का अर्थ है वह चल या अचल संपत्ति जो ईश्वर को दान की गई है, और जिस पर पुनः अधिकार नहीं जताया जा सकता।

धर्मार्थ दान की परंपरा के संदर्भ में, केंद्र सरकार द्वारा संसद में प्रस्तुत वक़्फ़ संशोधन बिल पर वक़्फ़ बोर्ड और विपक्षी दलों ने प्रश्न उठाए हैं।

विपक्ष का आरोप है कि सरकार इस विधेयक के माध्यम से वक़्फ़ की संपत्तियों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहती है, उनका मत है कि वक्फ पूरी तरह से मुसलमानों का धार्मिक विषय है, इसलिए किसी गैर-मुस्लिम को इसमें शामिल करना उचित नहीं है, और यह कदम सरकार की मंशा पर संदेह उत्पन्न करता है।

जबकि सरकार का तर्क है कि यह वक़्फ़ की संपत्तियों के अधिक प्रभावी उपयोग के लिए है और इसका उद्देश्य महिलाओं तथा वंचित वर्ग के कल्याण को बढ़ावा देना है।

नए वक़्फ़ विधेयक के व्यापक विरोध के चलते, इसे एक संयुक्त संसदीय समिति को सौंपा गया है, जिसकी अध्यक्षता बीजेपी सदस्य जगदंबिका पाल कर रहे हैं।

संयुक्त संसदीय समिति में विभिन्न राजनीतिक दलों के लगभग 31 सदस्य उपस्थित हैं, जिनमें लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य शामिल हैं।

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